वि हि प दुर्गावाहिनी शौर्य प्रशिक्षण वर्ग पश्चिम महाराष्ट्र प्रांत पुणे मे सम्पन्न हुआ ।
अनेक दृष्टी से से यह वर्ग सन्स्मरनिय हुआ । वर्ग मे ९१ युवतीयां सम्मिलित हुईथी । प महाराष्ट्र के १६ मे से ११ जिलोसे, २७ प्रखंडोसे और ४० स्थानोसे गुणवान, उच्च विद्या विभूषित दुर्गाए वर्ग मे आई थी । १०वी कक्षा कि ४९, ११वी और १२ वि कक्षा कि २०, पदवी धारक ११, advocate ०३, द्विपदवी धारक ०२, degree / diploma engineer ०५, आयुर्वेदाचार्य <डाक्टर>०१, ऐसी शैक्षणिक श्रेणी थी । जुडो कराटे मेब्लैक बेल्ट होल्डर ०६, तलवार युद्ध मे प्रवीण ०४, (छ .शिवाजी महाराज के जमाने कि युद्ध कला) योग शास्त्र प्रवीण ०३, ऐसा स्तर था।शारीरिक विभाग मे १० प्रविण शिक्षिका ए थी । उसमे से एक शिक्षिका ने अबतक २० ब्लेक बेल्ट होल्डर युवतीयां तैयार कि थी ।
वर्ग का दिनक्रम प्रातः ४:३० से रात्रौ १०:३० ऐसा था । प्रातः काल मे एकात्मता स्तोत्र , मंत्र ध्यानधारणा , प्रार्थना , शांती मंत्र , उदघोष आदि करवाया जाता था । सुबह २ घंटे और श्याम २ घंटे शारीरिक सत्र मे शाखा लगाकर नियुद्ध (जुडो ), दंड , दंड युद्ध , योगासन , तलवार युद्ध , समता के साथ विविध प्रकारके खेल खेले जाते थे ।
इस वर्ग को विश्व हिंदू परिषद के माननीय केंद्रीय अधिकारीयोने / प्रांतीय अधिकारीयोने संबोधित किया १)आंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डाक्टर प्रवीण जी तोगडिया २)आंतरराष्ट्रीय संगठन महामंत्री श्री दिनेशचंद्र जी ३)संयुक्त महामंत्री श्री विनायक राव जी देशपांडे ४) (विशेष संपर्क ) प्रा . व्यंकटेश जी आबदेव ५)केंद्रीय मंत्री (सत्संग ) श्री दादाजी वेदक ६) क्षेत्रिय सेवाकार्य प्रमुख श्री भार्गव जी सरपोतदार ७) प .महाराष्ट्र प्रांत मंत्री श्री बाबूजी नाटेकर ८)प .महाराष्ट्र प्रांत संगठन मंत्री श्री भाऊराव जी कुदळे आदि।
दोपहरके चर्चा सत्रमे बौद्धिक के विषय और इतर विषय जैसे प्रसार माध्यमोमे स्त्रीका स्थान आदिमें युवतीयोंको सम्मिलित किया जाता था ।
कृती सत्र में **बालसंस्कार केंद्र लेना *शक्ति साधना केंद्र लेना*विविध प्रकारके आंदोलन *corner meetings में उनको सम्मिलित किया जाता था।नेतृत्व करनेकी संधी उन्हे देकर उनका आत्मविश्वास बढाया जाता था ।
सायं उपासना में स्वयं को भूलकर परमेश्वर चरण में युवतियां तल्लिन हो जाती थी ,भाव विभोर हो जाती थी ।रातके भोजन उपरांत रंजन सत्र में स्लाईड शो ,त्योहार के खेल आदि के साथ युवतियोंको अपने कला गुण सादर करनेकी संधि मिलती थी । वर्गकेअंतिम चरण मेंशोभा यात्रा का आयोजन किया था । उस में ध्वज पथक ,ढोल पथक के साथ दुर्गाओंका जोश पूर्ण संचलन पुणे शहर में हुवा ।समारोप कार्यक्रममें दुर्गाओंके विविध पथकोने आकर्षक प्रात्यक्षिक किये, जैसे कि दंड युद्ध ,तरवार युद्ध ,योगासन ,नियुद्ध आदि ।समापन के भाषण में डॉक्टर प्रविणजी तोगाडिया ने हिंदु समाजपर बरसोसे होनेवाले आक्रमणओका वर्णन किया और हिदु समाज अभी उत्तर देनेकी स्थिति में तैय्यार है ऐसी चेतावनी दी ।
अंतिम दिन दुर्गाओने प्रतिज्ञा लेकर यज्ञ में आहुति देकर आजन्म हिंदु धर्म की रक्षा करनेका व्रत निभानेका उच्चारण किया । प्रत्यक्ष सूत्र बंधन कर कर संगठन सूत्र दृढ करनेका निश्चय किया ।