प्रत्येक शरणार्थी हिन्दू को नागरिकता, धर्म यात्राओं की सात्विकता व मन्दिरों को जागरण, धर्म प्रचार व समरसता के केन्द्र बनाने के संकल्प के साथ पूर्ण हुई विहिप की दो दिवसीय प्रबंध समिति बैठक



।। प्रेस वक्तव्य ।।

 

जोधपुर, 28 जुलाई 2024 विश्व हिन्दू परिषद की केन्द्रीय प्रबन्ध समिति की दो दिवसीय बैठक जोधपुर के माहेश्वरी भवन में सम्पन्न हुई। रविवार को बैठक की सम्पूर्ण जानकारी के लिए हुई पत्रकार वार्ता को विहिप के राष्ट्रीय अध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता श्री आलोक कुमार ने सम्बोधित करते हुए कहा कि बैठक में प्रत्येक विस्थापित हिन्दू को नागरिकता मिले, हिन्दू मान्यताओं व परम्पराओं की सात्विकता व पवित्रता सुनिश्चित करने के साथ, मन्दिरों को जागरण, धर्म प्रचार, सेवा व समरसता के केन्द्र बनाने का संकल्प लिया गया।


। षष्टि पूर्ति वर्ष समापन कार्यक्रम ।


विहिप अध्यक्ष ने कहा कि इस वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को विहिप के 60 वर्ष पूर्ण होंगे। बैठक में निर्णय लिया गया कि ऐसे में देशभर में हजारों  स्थानों पर व्यापक जनजागरण कार्यक्रम होंगे।  24 अगस्त से 1 सितंबर के बीच आयोजित होने वाले इन स्थापना दिवस महोत्सव कार्यक्रमों के अन्तर्गत विहिप की 60 वर्षो की उपलब्धियां, वर्तमान में राष्ट्र, धर्म व हिन्दू समाज के समक्ष चुनौतियाँ तथा उनके निराकरण के सम्बन्ध में चर्चाएं, संगोष्ठियाँ व सार्वजनिक कार्यक्रम होंगे। इनके माध्यम से हम विहिप के कार्यों व हिन्दू जीवन मूल्यों को जन जन तक लेकर जाएंगे।


। नागरिकता संशोधन अधिनियम ।
उन्होंने बताया कि राजस्थान, दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात व उत्तर प्रदेश सहित सम्पूर्ण देश के अनेक राज्यों में विहिप एवं बजरंग दल कार्यकर्ता हर गाँव गली मोहल्ले में पाक से आये पीड़ित विस्थापित हिन्दुओं को नागरिकता दिलाने में सहयोग कर रहे हैं। इसमें हजारों ऐसे हिन्दुओं की नागरिकता हेतु पंजीयन हो चुका है तथा सैकड़ों को नागरिकता मिली भी है। निर्णय हुआ कि  इस प्रक्रिया में और तेजी लाई जाएगी तथा शेष बचे सभी पीड़ितों को भारत की नागरिकता दिलाई जाएगी।


। कांवड़ यात्रा ।
मुसलमानों को अधिकार बताया जाता है कि वह खाने के पहले देखें कि वह खाना हलाल का है या नहीं।  खाने में धार्मिक भाव को देखा जा सकता है तो बेचने वाले के बारे में क्यों नहीं?
इस बारे में कानून 2006 में बना था। 2011 में नियम बने थे। इन नियमों में यह निर्देश था कि खाने का सामान बेचने वालों को अपना लाइसेंस दुकान पर लगाना पड़ेगा जिसमें उनका नाम शामिल है। तब केन्द्र में प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह की सरकार थी।

बहुत सारे ऐसे कानून है जिसमें हर दुकानदार को अपनी दुकान के सामने अपना रजिस्ट्रेशन लगाना पड़ता है। इसमें उसका नाम होता ही है एवं इसके अलावा अन्य काफी जानकारियां होती है, जैसे जीएसटी नंबर, टिन नंबर, शॉप एंड एस्टेब्लिशमेंट एक्ट आदि। फिर इस बार ही आपत्ति क्यों?
यह सर्वविदित है कि हिन्दू धर्म स्थलों, तीर्थो तथा धर्मिक यात्राओं के मार्ग में  बहुत सारे मुसलमान दुकानदार अपने दुकान का नाम हिन्दू देवी देवताओं के नाम पर रखते है तथा कई जगह तो वे हिन्दू देवी देवताओं के चित्र भी लगाते है। यह सीधे-सीधे अपना मजहब छुपाकर  धोखा देने की बात है। कोई इस प्रकार के धोखे को अपना कानूनी अधिकार कैसे बता सकता है? क्या तीर्थ यात्रियों को यात्रा में अपने धर्म के अनुसार धार्मिक सात्विक खाना खाने का अधिकार भी  नहीं है?
श्री आलोक कुमार ने यह भी कहा कि निश्चय ही लोकतंत्र में दो आदेश नहीं हो सकते। किसी एक धर्म के मानने वालों के लिए अलग और हिन्दू धर्म के मानने वालो के लिए अलग।
विश्व हिन्दू परिषद इस कानून का समर्थन करती है।
हमें यह मालूम है कि सुप्रीम कोर्ट ने अभी इस आदेश पर रोक लगाई है। इस आज्ञा का सम्मान होना चाहिए। किंतु, हम यह आशा करते हैं कि गुण दोष के आधार पर पूरी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट अपना यह आदेश वापस लेकर याचिका को शीघ्र रद्द करेगी।


। अर्चक - पौरोहित्य प्रशिक्षण कार्यक्रम ।
विभिन्न जाति मत-पंथ-सम्प्रदायों के मठ मन्दिर देश में सामाजिक जागरण, धर्मप्रचार, सेवा व समरसता के केन्द्र बनें तथा शुद्ध मंत्रोच्चार के साथ धार्मिक रीति-रिवाज से पूजा, अर्चना व पौरोहित्य के कार्य सम्पन हों,  इस हेतु विहिप ने देशभर में अर्चक पुरोहितों के प्रशिक्षण की एक व्यापक कार्य योजना बनाई है।  इससे न सिर्फ भारतीय उपमहाद्वीप अपितु,  पश्चिम के देशों में भी मन्दिरों व घरों में विधि विधान से संस्कार व धार्मिक शिक्षा का प्रसार हो सकेगा। विदेशस्थ  हिन्दू मन्दिरों में ऐसे पुजारियों की बड़ी मांग है। इस की पूर्ति हेतु इन प्रशिक्षण कार्यक्रम में अंग्रेजी व अन्य भाषाओं के साथ तकनीकी प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में समाज के हर वर्ग के जाति-मत-पंथ-सम्प्रदाय को सहभागी बनाया जाएगा।
इस  बैठक में  देश भर में विहिप के 47 प्रान्तों सहित विश्व भर के लगभग 300 पदाधिकारियों ने भाग लिया।
 

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 प्रत्येक निर्वासित हिंदूला नागरिकत्व, धार्मिक तीर्थक्षेत्रांचे पावित्र्य आणि मंदिरांना प्रबोधन, धार्मिक प्रचार आणि सामाजिक समरसतेचे  केंद्र बनवण्याच्या संकल्पाने विहिंपच्या दोन दिवसीय कार्यकारी समितीची बैठक संपन्न झाली .*

जोधपूर, 28 जुलै 2024 विश्व हिंदू परिषदेच्या केंद्रीय कार्यकारी  समितीची दोन दिवसीय बैठक माहेश्वरी भवन, जोधपूर येथे झाली. या बैठकीची संपूर्ण माहिती घेण्यासाठी रविवारी आयोजित पत्रकार परिषदेला संबोधित करताना विहिंपचे राष्ट्रीय अध्यक्ष आणि ज्येष्ठ अधिवक्ता श्री आलोक कुमार म्हणाले की, बैठकीत प्रत्येक विस्थापित हिंदूला नागरिकत्व मिळायला हवे, तसेच हिंदू श्रद्धा आणि परंपरांचे पावित्र्य आणि पावित्र्य राखले पाहिजे. मंदिरे ही प्रबोधन, धर्मप्रसार, सेवा आणि सौहार्दाची केंद्रे करण्याचा संकल्प करण्यात आला.
 
 षष्ठी पूर्ती वर्षाचा समारोप कार्यक्रम.


विहिंप अध्यक्ष म्हणाले की, यावर्षी श्रीकृष्ण जन्माष्टमीला विहिंपला ६० वर्षे पूर्ण होतील. अशा परिस्थितीत देशभरात हजारो ठिकाणी व्यापक जनजागृती कार्यक्रम घेण्याचा निर्णय बैठकीत घेण्यात आला. 24 ऑगस्ट ते 1 सप्टेंबर दरम्यान आयोजित केल्या जाणाऱ्या या स्थापना दिन उत्सव कार्यक्रमांतर्गत, विहिंपने 60 वर्षांतील कामगिरी, राष्ट्र, धर्म आणि हिंदू समाजासमोरील आव्हाने आणि त्यांचे निराकरण याविषयी चर्चा, परिसंवाद आणि सार्वजनिक कार्यक्रम केले जातील. याद्वारे आम्ही विहिंप आणि हिंदू जीवनमूल्यांचे कार्य लोकांपर्यंत पोहोचवू.

नागरिकत्व सुधारणा कायदा.


त्यांनी सांगितले की राजस्थान, दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात आणि उत्तर प्रदेशसह देशातील अनेक राज्यांमध्ये, विहिप आणि बजरंग दलाचे कार्यकर्ते प्रत्येक गावात आणि परिसरात पाकिस्तानमुळे पीडित विस्थापित हिंदूंना नागरिकत्व मिळवून देण्यासाठी मदत करत आहेत. यामध्ये अशा हजारो हिंदूंची नागरिकत्वासाठी नोंदणी झाली असून शेकडो लोकांना नागरिकत्वही मिळाले आहे. ही प्रक्रिया जलद करण्यात येईल आणि उर्वरित सर्व पीडितांना भारतीय नागरिकत्व देण्यात येईल, असा निर्णय घेण्यात आला.

कावड यात्रा.


मुस्लिमांना अन्न हलाल आहे की नाही ते खाण्यापूर्वी ते तपासण्याचा अधिकार देण्यात आला आहे. खाद्यपदार्थात धार्मिक भावना दिसत असेल तर विक्रेत्यामध्ये
 ती भावना का तपासायची  नाही?
2006 मध्ये याबाबत कायदा करण्यात आला. 2011 मध्ये नियम तयार करण्यात आले होते. या नियमांनुसार खाद्यपदार्थांची विक्री करणाऱ्यांना त्यांचे नाव असलेल्या दुकानावर परवाना लावावा लागेल. त्यावेळी केंद्रात पंतप्रधान मनमोहन सिंग यांचे सरकार होते.

असे अनेक कायदे आहेत ज्यात प्रत्येक दुकानदाराला त्याच्या दुकानासमोर स्वतःची नोंदणी करावी लागते. त्यात त्याचे नाव आहे आणि याशिवाय जीएसटी क्रमांक, टीआयएन क्रमांक, दुकान आणि आस्थापना कायदा इत्यादी बरीच माहिती आहे. मग यावेळीच आक्षेप का?
हे सर्वज्ञात आहे की अनेक मुस्लिम दुकानदार आपल्या दुकानांची नावे हिंदू देवी-देवतांच्या नावावर ठेवतात आणि अनेक ठिकाणी ते हिंदू धार्मिक स्थळे, तीर्थक्षेत्रे आणि धार्मिक यात्रांच्या मार्गावर हिंदू देवी-देवतांची चित्रेही लावतात. हा केवळ धर्म लपवून फसवणूक करण्याचा प्रकार आहे. अशा प्रकारची फसवणूक एखाद्याचा कायदेशीर हक्क म्हणून कोणी कसा दावा करू शकतो? यात्रेकरूंना प्रवासादरम्यान त्यांच्या धर्मानुसार धार्मिक सात्त्विक अन्न खाण्याचा अधिकार नाही का?
श्री आलोक कुमार असेही म्हणाले की लोकशाहीत निश्चितपणे दोन आदेश असू शकत नाहीत. एका धर्माच्या अनुयायांसाठी वेगळे आणि हिंदू धर्माच्या अनुयायांसाठी वेगळे.
विश्व हिंदू परिषद या कायद्याचे समर्थन करते.
सर्वोच्च न्यायालयाने सध्या या आदेशाला स्थगिती दिली आहे, हे आम्हाला माहीत आहे. या आदेशाचा आदर केला पाहिजे. परंतु, आम्हाला आशा आहे की गुणवत्तेवर पूर्ण सुनावणी झाल्यानंतर सर्वोच्च न्यायालय आपला आदेश मागे घेईल आणि याचिका लवकरच रद्द करेल.

अर्चका - पुरोहित प्रशिक्षण कार्यक्रम.


देशातील विविध जाती, धर्म, पंथांचे मठ आणि मंदिरे ही समाज प्रबोधन, धर्मप्रसार, सेवा आणि सद्भावना यांची केंद्रे व्हावीत आणि पूजा-अर्चा, पौरोहित्य यांचे कार्य धार्मिक रीतिरिवाजानुसार शुद्ध नामस्मरणाने पूर्ण व्हावे.  विहिंपने देशभरातील अर्चकांना पुरोहितांच्या प्रशिक्षणासाठी एक व्यापक कृती आराखडा तयार केला आहे. याद्वारे केवळ भारतीय उपखंडातच नव्हे तर पाश्चात्य देशांमध्येही मंदिरे आणि घरांमध्ये विधी आणि धार्मिक शिक्षणाचा प्रसार केला जाईल. परदेशात हिंदू मंदिरांतील अशा पुजाऱ्यांना मोठी मागणी आहे. त्याची पूर्तता करण्यासाठी या प्रशिक्षण कार्यक्रमांमध्ये इंग्रजी आणि इतर भाषांसोबत तांत्रिक प्रशिक्षणही दिले जाणार आहे. या प्रशिक्षण कार्यक्रमात समाजातील प्रत्येक घटक, जात, पंथ आणि समुदायाला सहभागी करून घेतले जाईल.

या बैठकीत देशभरातील ४७ प्रांतांसह जगभरातील विहिंपचे सुमारे ३०० अधिकारी सहभागी झाले होते.

 

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|প্রেসবার্তা||

||প্রত্যেক উদ্বাস্তু হিন্দুকে নাগরিকত্ব প্রদান, ধর্মীয় তীর্থস্থানের পবিত্রতা এবং মন্দিরগুলিকে জাগরণ, ধর্মীয় প্রচার ও সম্প্রীতির কেন্দ্র করে তোলার সংকল্প নিয়ে ভিএইচপি-র দুদিনের ব্যবস্থাপনা কমিটির সভা সম্পন্ন||

যোধপুর, ২৮ জুলাই: বিশ্ব হিন্দু পরিষদের কেন্দ্রীয় ব্যবস্থাপনা কমিটির দুদিনের সভা রাজস্থানের যোধপুর স্থিত মহেশ্বরী ভবনে অনুষ্ঠিত হয়।  সভা সম্পর্কে সম্পূর্ণ তথ্যের জন্য রবিবার আয়োজিত সাংবাদিক সম্মেলনে বক্তব্য রাখতে গিয়ে, ভিএইচপি-র রাষ্ট্রীয় সভাপতি তথা সিনিয়র অ্যাডভোকেট শ্রী অলোক কুমার বলেন যে, সভায় হিন্দু বিশ্বাস ও ঐতিহ্যের স্বাত্তিকতা ও পবিত্রতা নিশ্চিত করার পাশাপাশি প্রতিটি বাস্তুচ্যুত হিন্দুকে নাগরিকত্ব, মন্দিরগুলিকে জাগরণ, ধর্ম প্রচার, সেবা ও সম্প্রীতির কেন্দ্রে পরিণত করার সংকল্প নেওয়া হয়।

|ষষ্ঠী পূর্তি বর্ষ সমাপণ কার্যক্রম|


ভিএইচপি সভাপতি বলেন, এই বছর শ্রীকৃষ্ণ জন্মাষ্টমীতে ভিএইচপি ৬০ বছর পূর্ণ করবে। সভায় সিদ্ধান্ত নেওয়া হয়, সারাদেশে হাজার হাজার স্থানে ব্যাপক জনসচেতনতামূলক কর্মসূচি পালন করা হবে। ২৪ আগস্ট থেকে ১ সেপ্টেম্বরের মধ্যে আয়োজিত এই স্থাপনা দিবস পালন কর্মসূচির অধীনে, ৬০ বছরে ভিএইচপি-র উপলব্ধি, বর্তমানে রাষ্ট্র, ধর্ম এবং হিন্দু সমাজের সামনে যে চ্যালেঞ্জ গুলি রয়েছে এবং তাদের সমাধানগুলি সম্পর্কে আলোচনা, সেমিনার এবং সার্বজনীন কর্মসূচি থাকবে। এর মাধ্যমে আমরা ভিএইচপি ও হিন্দু জীবন মূল্যবোধের কাজ প্রত্যেকটি মানুষের কাছে নিয়ে যাব।

|নাগরিকত্ব সংশোধনী আইন|


তিনি বলেন যে, রাজস্থান, দিল্লি, মহারাষ্ট্র, গুজরাট এবং উত্তর প্রদেশ সহ দেশের অনেক রাজ্যে, ভিএইচপি এবং বজরং দলের কর্মীরা প্রতিটি গ্রামে এবং এলাকায় পাকিস্তান থেকে নির্যাতিত বাস্তুচ্যুত হিন্দুদের নাগরিকত্ব পেতে সহায়তা করছে।  এতে হাজার হাজার হিন্দু নাগরিকত্বের জন্য পঞ্জিয়ন হয়েছেন এবং শত শত নাগরিকত্বও পেয়েছেন। সিদ্ধান্ত নেওয়া হয় যে, এই প্রক্রিয়াটিকে আরও ত্বরান্বিত করা হবে এবং বাকি সব ভুক্তভোগীকে ভারতীয় নাগরিকত্ব দেওয়া হবে।

|কাবড় যাত্রা বা ভোলে বম যাত্রা।


মুসলমানদের খাবার খাওয়ার আগে খাবার হালাল কি না তা পরীক্ষা করার অধিকার দেওয়া হয়েছে।   খাবারে যদি ধর্মীয় অনুভূতি দেখা যায় তাহলে বিক্রেতার মধ্যে কেন নয়?
এ সংক্রান্ত একটি আইন করা হয় ২০০৬ সালে। নিয়মগুলি ২০১১ সালে তৈরি করা হয়েছিল। এই বিধিতে বলা হয়েছে যে, যারা খাদ্য সামগ্রী বিক্রি করেন তাদের নামের লাইসেন্স দোকানে লাগাতে হবে। তখন কেন্দ্রে প্রধানমন্ত্রী মনমোহন সিংয়ের সরকার ছিল।

এরকম অনেক আইন আছে যাতে প্রত্যেক দোকানদারকে তার দোকানের সামনে রেজিস্ট্রেশন লাগাতে হয়। এতে তার নাম থাকবে এবং এটি ছাড়াও জিএসটি নম্বর, টিআইএন নম্বর, দোকান এবং সংস্থাপন আইন ইত্যাদির মতো আরও অনেক তথ্য রয়েছে। তাহলে শুধু এবার আপত্তি কেন?

এটা সর্বজনবিদিত যে, হিন্দু ধর্মীয় স্থান, তীর্থস্থান এবং ধর্মীয় তীর্থস্থানে যাওয়ার পথে, অনেক মুসলিম দোকানদার তাদের দোকানের নাম হিন্দু দেব-দেবীর নামে রাখে এবং অনেক জায়গায় তারা হিন্দু দেব-দেবীর ছবিও রাখে। এটা নিছক ধর্ম লুকিয়ে প্রতারণার ব্যাপার। এই ধরনের প্রতারণাকে কীভাবে একজনের আইনগত অধিকার হিসাবে দাবি করা যায়?  তীর্থযাত্রীদেরও কি যাত্রার সময় তাদের ধর্ম অনুসারে ধর্মীয় সাত্ত্বিক খাবার খাওয়ার অধিকার নেই?
শ্রী অলোক কুমার আরও বলেন যে, গণতন্ত্রে অবশ্যই দুটি আদেশ থাকতে পারে না। এক ধর্মের অনুসারীদের জন্য আলাদা এবং হিন্দু ধর্মের অনুসারীদের জন্য আলাদা!

বিশ্ব হিন্দু পরিষদ এই আইনকে সমর্থন করে। আমরা জানি যে, সুপ্রিম কোর্ট বর্তমানে এই আদেশের ওপর স্থগিতাদেশ দিয়েছে। এই আদেশ মান্য করা আবশ্যক। তবে, আমরা আশা করি যে, যোগ্যতার উপর সম্পূর্ণ শুনানির পর, সুপ্রিম কোর্ট তার আদেশ প্রত্যাহার করবে এবং শীঘ্রই আবেদনটি বাতিল করবে।

|অর্চক - পুরোহিত প্রশিক্ষণ কার্যক্রম|


দেশের বিভিন্ন জাতি-ধর্ম-সম্প্রদায়ের মঠ-মন্দিরগুলোকে সামাজিক জাগরণ, ধর্ম প্রচার, সেবা ও সম্প্রীতির কেন্দ্রে পরিণত করতে হবে এবং এর জন্য শুদ্ধ মন্ত্র উচ্চারণের মাধ্যমে ধর্মীয় আচার-অনুষ্ঠান সম্পন্ন করার উদ্দেশ্যে ভিএইচপি সারা দেশে পুরোহিতদের প্রশিক্ষণের জন্য একটি ব্যাপক কর্মপরিকল্পনা তৈরি করা হয়েছে। এর মাধ্যমে শুধু ভারতীয় উপমহাদেশে নয়, পাশ্চাত্যের দেশগুলোতেও মন্দির ও বাড়িতে বিধি বিধানের মাধ্যমে আচার-অনুষ্ঠান ও ধর্মীয় শিক্ষার প্রসার ঘটবে। বিদেশে হিন্দু মন্দিরে এধরনের পুরোহিতের ব্যাপক চাহিদা রয়েছে। তা পূরণ করতে ইংরেজি ও অন্যান্য ভাষার পাশাপাশি এসব প্রশিক্ষণ কর্মসূচিতে কারিগরি প্রশিক্ষণও দেওয়া হবে। এই প্রশিক্ষণ কর্মসূচিতে সমাজের প্রতিটি শ্রেণী, বর্ণ, ধর্ম ও সম্প্রদায়কে অংশগ্রহণ করা হবে।
এই বৈঠকে দেশের ৪৭ টি প্রান্ত সহ সারা বিশ্ব থেকে প্রায় তিনশ জন ভিএইচপি কর্মকর্তা অংশ গ্রহণ করেন।

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પ્રેસ વક્તવ્ય

, VHPની બે દિવસીય પ્રબંધન સમિતિની બેઠક દરેક શરણાર્થી હિંદુને નાગરિકતા આપવા, ધાર્મિક યાત્રાધામોની પવિત્રતા અને મંદિરોને જાગૃતિ, ધાર્મિક પ્રચાર અને સંવાદિતાના કેન્દ્રો બનાવવાના સંકલ્પ સાથે સમાપ્ત થઈ.

 

જોધપુર, 28 જુલાઇ 2024 વિશ્વ હિન્દુ પરિષદની કેન્દ્રીય પ્રબંધન સમિતિની બે દિવસીય બેઠક મહેશ્વરી ભવન, જોધપુર ખાતે યોજાઈ હતી. બેઠકની સંપૂર્ણ માહિતી માટે રવિવારે યોજાયેલી પ્રેસ કોન્ફરન્સને સંબોધતા VHPના રાષ્ટ્રીય અધ્યક્ષ અને વરિષ્ઠ વકીલ શ્રી આલોક કુમારે જણાવ્યું હતું કે બેઠકમાં દરેક વિસ્થાપિત હિંદુને નાગરિકતા મળવી જોઈએ, સાથે હિંદુ માન્યતાઓ અને પરંપરાઓની પવિત્રતા અને પવિત્રતાની ખાતરી કરવી જોઈએ. મંદિરોને જાગૃતિ, ધર્મ પ્રચાર, સેવા અને સંવાદિતાનું કેન્દ્ર બનાવવાનો સંકલ્પ કરવામાં આવ્યો હતો.

"ષષ્ઠી પૂર્તિ સમાપન કાર્યક્રમ

VHP પ્રમુખે કહ્યું કે આ વર્ષે VHP શ્રી કૃષ્ણ જન્માષ્ટમી પર 60 વર્ષ પૂર્ણ કરશે. બેઠકમાં નિર્ણય લેવામાં આવ્યો હતો કે આવી સ્થિતિમાં દેશભરમાં હજારો સ્થળોએ વ્યાપક જનજાગૃતિ કાર્યક્રમો યોજવામાં આવશે. 24 ઓગસ્ટથી 1 સપ્ટેમ્બરની વચ્ચે આયોજિત થનારા આ સ્થાપના દિન ઉત્સવના કાર્યક્રમો અંતર્ગત 60 વર્ષમાં VHPની સિદ્ધિઓ, રાષ્ટ્ર, ધર્મ અને હિંદુ સમાજ સામેના પડકારો અને તેના ઉકેલો અંગે ચર્ચા, પરિસંવાદ અને જાહેર કાર્યક્રમો યોજાશે. આના દ્વારા અમે VHP અને હિંદુ જીવન મૂલ્યોનું કામ લોકો સુધી પહોંચાડીશું.

, નાગરિકતા સુધારો કાયદો

તેમણે કહ્યું કે રાજસ્થાન, દિલ્હી, મહારાષ્ટ્ર, ગુજરાત અને ઉત્તર પ્રદેશ સહિત દેશના ઘણા રાજ્યોમાં, VHP અને બજરંગ દળના કાર્યકરો દરેક ગામ અને વિસ્તારમાં પાકિસ્તાનથી દલિત વિસ્થાપિત હિન્દુઓને નાગરિકતા અપાવવામાં મદદ કરી રહ્યા છે. જેમાં આવા હજારો હિન્દુઓ નાગરિકતા માટે નોંધાયેલા છે અને સેંકડોને નાગરિકતા પણ મળી છે. નિર્ણય લેવામાં આવ્યો કે આ પ્રક્રિયાને ઝડપી બનાવવામાં આવશે અને બાકીના તમામ પીડિતોને ભારતીય નાગરિકતા આપવામાં આવશે.

કાવડ યાત્રા.

મુસ્લિમોને ખોરાક ખાતા પહેલા તે હલાલ છે કે નહીં તેની તપાસ કરવાનો અધિકાર આપવામાં આવ્યો છે. જો ધાર્મિક ભાવના ખોરાકમાં દેખાતી હોય તો વેચનારમાં કેમ નહીં?

આ અંગેનો કાયદો 2006માં બન્યો હતો. નિયમો 2011 માં બનાવવામાં આવ્યા હતા. આ નિયમોમાં એવું નક્કી કરવામાં આવ્યું હતું કે ખાદ્ય ચીજવસ્તુઓનું વેચાણ કરનારાઓએ પોતાનું લાયસન્સ એ દુકાન પર લગાવવું પડશે જેમાં તેમનું નામ હશે. તે સમયે કેન્દ્રમાં વડાપ્રધાન મનમોહન સિંહની સરકાર હતી.

આવા ઘણા કાયદા છે જેમાં દરેક દુકાનદારે પોતાની દુકાનની સામે પોતાનું રજીસ્ટ્રેશન કરાવવું પડે છે. તેમાં તેમનું નામ છે અને આ સિવાય GST નંબર, TIN નંબર, દુકાન અને સ્થાપના કાયદો વગેરે જેવી ઘણી બધી માહિતી છે. તો પછી આ વખતે જ વાંધો શા માટે? એ વાત સર્વવિદિત છે કે હિન્દુ ધાર્મિક સ્થળો, યાત્રાધામો અને ધાર્મિક તીર્થસ્થાનોના માર્ગ પર અનેક મુસ્લિમ દુકાનદારો

તેઓ દુકાનોના નામ હિંદુ દેવી-દેવતાઓના નામ પર રાખે છે અને ઘણી જગ્યાએ તેઓ હિંદુ દેવી-દેવતાઓના ચિત્રો પણ મૂકે છે. આ તો માત્ર પોતાના ધર્મને છુપાવીને છેતરપિંડી કરવાની વાત છે. આ પ્રકારની છેતરપિંડીનો કોઈ પોતાના કાનૂની અધિકાર તરીકે કેવી રીતે દાવો કરી શકે? શું યાત્રાળુઓને યાત્રા દરમિયાન તેમના ધર્મ પ્રમાણે ધાર્મિક સાત્વિક ખોરાક ખાવાનો અધિકાર નથી?

શ્રી આલોક કુમારે એમ પણ કહ્યું કે લોકશાહીમાં ચોક્કસપણે બે ઓર્ડર હોઈ શકે નહીં. એક ધર્મના અનુયાયીઓ માટે અલગ અને હિંદુ ધર્મના અનુયાયીઓ માટે અલગ. વિશ્વ હિન્દુ પરિષદ આ કાયદાનું સમર્થન કરે છે.

અમે જાણીએ છીએ કે સુપ્રીમ કોર્ટે હાલમાં આ આદેશ પર સ્ટે મૂક્યો છે. આ આદેશને માન આપવું જોઈએ. પરંતુ, અમે આશા રાખીએ છીએ કે યોગ્યતાઓ પર સંપૂર્ણ સુનાવણી કર્યા પછી, સુપ્રીમ કોર્ટ પોતાનો આદેશ પાછો ખેંચી લેશે અને અરજીને ટૂંક સમયમાં રદ કરશે.

 અર્ચક પુરોહિત તાલીમ કાર્યક્રમ

દેશમાં વિવિધ જ્ઞાતિઓ અને સંપ્રદાયોના મઠો અને મંદિરો સામાજિક જાગૃતિ, ધાર્મિક પ્રચાર, સેવા અને સંવાદિતાના કેન્દ્રો બને અને પૂજા-અર્ચના અને પુરોહિતનું કાર્ય મંત્રોના શુદ્ધ જાપ સાથે ધાર્મિક વિધિ મુજબ પૂર્ણ થાય તે માટે , VHP દ્વારા સમગ્ર દેશમાં કમાન પુરોહિતોની તાલીમ માટે એક વ્યાપક એક્શન પ્લાન બનાવવામાં આવ્યો છે આ સાથે માત્ર ભારતીય ઉપખંડમાં જ નહીં પરંતુ પશ્ચિમી દેશોમાં પણ મંદિરો અને ઘરોમાં ધાર્મિક વિધિઓ દ્વારા ધાર્મિક વિધિઓ અને ધાર્મિક શિક્ષણનો ફેલાવો કરવામાં આવશે. વિદેશમાં હિન્દુ મંદિરોમાં આવા પૂજારીઓની ખૂબ માંગ છે. તેને પરિપૂર્ણ કરવા માટે આ તાલીમ કાર્યક્રમોમાં અંગ્રેજી અને અન્ય ભાષાઓની સાથે ટેકનિકલ તાલીમ પણ આપવામાં આવશે. આ તાલીમ કાર્યક્રમમાં સમાજના દરેક વર્ગ, જાતિ, સંપ્રદાય અને સંપ્રદાયને સહભાગી બનાવવામાં આવશે.

આ બેઠકમાં દેશભરના 47 પ્રાંતો સહિત વિશ્વભરમાંથી VHPના લગભગ 300 અધિકારીઓએ ભાગ લીધો હતો.

 

 

 

Issued By
विनोद बंसल राष्ट्रीय प्रवक्ता विश्व हिन्दू परिषद